शुक्रवार, 28 नवंबर 2008

हौसले की ज़मीं

ऊसर समय में भी
हम बोएंगे
उम्मीदों के बीज
बचाकर रखेंगे
अपनी आत्मा में
मनुष्यता की नमी
अपने हौसलों की ज़मीं पर
हम देंगे
दूसरों को भी जगह
और देखना तुम
एक दिन
धरती भर जाएगी
हमारे
सपनों के फूलों से
सचमुच !!!